नई दिल्ली/ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन के ‘सनातन धर्म को मिटा देने’ वाले बयान पर कड़ी टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उदयनिधि स्टालिन ने पहले अभिव्यक्ति को आजादी और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग किया है। इसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आम आदमी की तरह नहीं बल्कि मंत्री के रूप में उच्च जिम्मेदारी वाले व्यक्ति के रूप में बयान देने की जिम्मेदारी को स्वीकार करने का आह्वान किया।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन को बयान देते समय सावधानी बरतनी चाहिए थी, और उन्हें बयान के परिणामों के प्रति सचेत रहना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय किया है और सुनवाई की तारीख 15 मार्च निर्धारित की गई है। यह याचिका संबंधित हाई कोर्ट में भी दर्ज है।
उदयनिधि स्टालिन के इस बयान ने विवाद उत्पन्न किया है और उन्हें छह राज्यों में एफआइआर के लिए दर्ज किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन को इस मामले में संबंधित हाई कोर्ट जाने को कहा है। इस मामले में वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी और नुपुर शर्मा आदि के मामलों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन दलीलों पर भी सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है।
उदयनिधि स्टालिन के बयान ने कई विवाद उत्पन्न किए हैं और सुप्रीम कोर्ट ने यहाँ यह भी उल्लेख किया है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए आगे बढ़ना पड़ सकता है। इस मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी।