Ambikapur/ – प्रथम कोयतुर रंग वेभिनार – दिनांक -25/02/2024 को दिन -रविवार को सायंकाल 7.30 पर पर कोयतुर रंगमंच का आनलाईन गूगल प्रथम संभागीय कोयतुर रंग वेभिनार सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। सर्वप्रथम इस शानदार कार्यक्रम की शुरूआत कोयतुरियन व्यवस्था / नेंग अनुसार “परसापेन सुमिरन पाटा” के साथ किया गया। साथ ही कार्यक्रम का शानदार संचालन तिरूमाल माधुरी मरकाम ( कोयतुर रंगमंच सांस्कृतिक प्रमुख एवं स्पीकर )ने सबका परिचय लेते हुए किया। साथ ही कोयतुर ट्राइबल थिएटर सरगुजा से रूबरू कराते हुए गोंडवाना फिल्म्स प्रोडक्शन एवं कोयतुर ट्राइबल थिएटर के संरक्षक /प्रशिक्षक /कला निदेशक /अभिनेता /रंगकर्मी बुद्धम श्याम को आमंत्रित किया। अभिनेता बुद्धम श्याम ने सर्वप्रथम परसापेन को सुमिरन करते हुए कार्यक्रम में आए सभी रंगप्रेमियों , बुद्धिजीवियों और पदाधिकारियों का स्वागत करते हुए रंगमंच की महत्ता को बताते हुए मार्गदर्शन किया और कहा कि आज हमारे समाज को रंगमंच की बहुत आवश्यकता है। बिना रंगमंच के हमारी संस्कृति को प्रतिस्थापित करना चुनौतिपूर्ण होगा। आप रंगमंच को अनदेखा नहीं कर सकते। साथ ही यह भी कहा कि आज जिसने रंगमंच को प्राथमिकता दिया उसकी संस्कृति विश्व पटल पर अंकित है। आज का जनमानस रंगमंच और रूपहले पर्दे को फालो करता है। इसका सीधा असर आने वाली पीढ़ी पर होता है। जबकि हम इस विधा में खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। हमारी बहू बेटियां इससे अधिक प्रभावित है। टीवी सीरियल ,और फिल्मों और धारावाहिक से प्रभावित हैं। जो देखती हैं वही जीती हैं। पर आजकल जो परोसा जा रहा है वहां हमारा कुछ नहीं। ऐसे में हम अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे। क्योंकि रंगमंच सीधा असर करता है। मन:पटल और मस्तिक गुलाम होता जा रहा है। जबकि हमारे अपने गौरवमयी इतिहास है , संस्कृति है , कोया पुनेम व्यवस्था है जिसे सहेजने की आवश्यकता है। और यह तभी हो सकता है कि हम रंगमंच से जुड़कर अपनी अपनी भागीदारी। सुनिश्चित करें। अधिक से अधिक कलाकार, रंगप्रेमी ,जुड़े। साथ ही साथ सभी बुद्धिजीवी भी सहयोग करें।
साथ ही कोयतुर रंगमंच की आवश्यकता क्यो है इसको भी विस्तार से बताया। जिस जीवन में रंग ना हो वो जीवन ही मृत के समान है। इसलिए हमारे पेन भी सात रंगों के सप्तरंगी ध्वज में समाहित है। प्रकृति स्वयं सप्त रंगी इंद्रधनुष को धारण कर अपना श्रृंगार करती है। इसलिए आप भी रंगमंच का शृंगार करें। अपने जीवन मे रंगभरें।
रंगमंच आपको जीवन जीना सिखाता है। आपके जीवन में रंग भरता है। रंगमंच हमारे जीवन में डर को भगाता है। बरसों के कांप्लेक्स को हटाता है। रंगमंच हमारे अंदर के पट को खोल देता है। समझ की शिक्षा , संस्कार , देता है आने वाली पीढ़ी को नैतिक मूल्यों के साथ छाती ठोक के बोलना सिखाता है। हम कह सकते हैं व्यक्ति के मानसिक विकास में रंगमंच का बहुत महत्व है। इसमें संगीत है, नृत्य है, श्रृंगार है। सभी कलाओं का समावेश है। गौरवमयी इतिहास ,संस्कृति को कला से जोड़ दिया जाए तो यह पीढ़ी को जागृत करने का कम्युनिकेट करने का सशक्त माध्यम है। आप भाषण दे सकते हैं पर महसूस नहीं करा सकते। महसूस कराने का सशक्त माध्यम रंगमंच ही है। क्योंकि यह संवेदनशीलता को रिएक्ट करा सकता है। यही कारण है टीवी में रामायण देखकर सारा समुदाय राममय हुआ । अब आपको भी कोयतुर रंगमंच से सीखकर जन मानस को वापस कोयामय करना होगा। इसलिए आपको कोयतुर रंगमंच से जुड़ना चाहिए । इस तरह बहुत सी रंगमंच से जुडी महत्वपूर्ण चीजों की जानकारी दी। साथ ही संस्कृति की रक्षा करने का सशक्त माध्यम रंगमंच को बताया । साथ ही अधिक से अधिक लोगों को कोयतुर रंगमंच से जुड़ने का आग्रह किया। इ सभी ने बारी बारी से अपनी बात रखी जिनमें बलरामपुर जिले के जिला प्रमुख एवं स्टार म्युजिक राजपुर के संचालक सहस आयाम जी ने कहाकि आज हम कहीं पर नहीं हैं , हमारी गौरवशाली संस्कृति है। सरगुजा की अपनी पहचान है हम यहां के मूल मालिक है मूल संस्कृति के जनक है फिर भी हम पीछे हैं कारण दिशाहीन प्रयास है। और दूसरे संस्कृति का प्रभाव ज्यादा है कारण वे अपनी दिशा जानते हैं। नतीजन उनकी संस्कृति मजबूत हो रही है। हमारा कल्चर हर जगह नदारत हे। जाहिर है इसकी शुरूआत हमको करनी होगी। इसके लिए आपने इस पहल को निर्णायक पहल माना आपने कोयतुर रंगमंच का साथ देने का वादा किया। और अपनी बात समाप्त की । इसी तरह अगली कड़ी में सूरजपुर जिले से अजय पोर्ते जी जो कि कोयतुर रंगमंच जिला सूरजपुर का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होने भी अपनी बात रखते हुए कोयतुर रंगमंच को एक सशक्त माध्यम बताया और आगामी आवासीय वर्कशाप सूरजपुर में करने की बात कही। संगठन को मजबूत करने की बात रखी साथ ही स्थानीय मीटींग की बात कही। इसी कड़ी में कोरिया जिले एवं एमसीबी जिले के कोयतुर रंगमंच के कला निदेशक व रंगमंच के प्रमुख शिव कुमार आयाम जी ने भी अपना हर संभव सहयोग व समर्थन की बात कही पिछला पंद्रह दिवसीय कोया समर कैम्प २०२३का इनके ही क्षेत्र गरूड़डोल में हुआ था जिसमें इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। कोयतुर रंगमंच के इतिहास में आपका महत्वपूर्ण योगदान है आपने कहा हम इस सार्थक पहल में साथ हैं। इसी कड़ी नागपुर से जुड़ी तिरूमाय संतोषी ध्रुव जी जो एयर फोर्स में है और माडलिंग और कल्चरल एक्टिविस्ट हैं। उन्होने भी सहयोग करने की बात कही साथ ही कोयतुर रंगमंच के पहल की खूब सराहना किया!इस कड़ी में सभी ने बारी बारी से अपनी बात रखी सबने भरपूर सहयोग की बात कही। अंत कार्यक्रम का शानदार संचालन कर रही माधुरी मरकाम जी ने सबका फीडबैक भी लिया। और अपनी बात भी रखी और हर संभव सहयोग की बात कही ।यह कोयतुर रंग वेभिनार सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। यह कोयतुर रंगमंच का प्रथम आनलाइन संभागस्तरीय गूगल मीट कोयतुर रंग वेभिनार था। इस रंग वेभिनार में आगामी रणनीति पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई। इस कार्यक्रम में एम सीबी जिला , सूरजपुर जिला , कोरिया जिला ,बलरामपुर जिला और सरगुजा जिला के प्रतिनिधि शामिल हुए। जिनमें तिरूमाल शिव कुमार आयाम जी, सहस आयाम जी, अजय पोर्ते जी, संतोषी ध्रुव नागपुर , सीमा सिंह ,राजकुमार सिंह सरगुजा मीडिया प्रमुख , जगदेव सिंह पावले जी, माधुरी सिंह मरकाम जी, नवल साय जी , अशोक ठाकुर सरगुजा आदि प्रमुख रंग प्रेमी ,रंगकर्मी , शामिल रहे।