आर एन ध्रुव रायपुर/ देश में आजादी के पहले 52 गढ़ 57 परगना का गोंडवाना था। गोंडवाना के शूरवीरों के बलिदान के बदौलत देश को आजादी मिली। आजादी के बाद अखंड भारत निर्माण में गोंडवाना के 258 रियासतों का विलय में हमारे पूर्वजों ने अहम भूमिका निभाई। भाषा, संस्कृति, रहन-सहन, भौगोलिक स्थिति के आधार पर बांग्ला बोलने वालों को बंगाल, उड़िया बोलने वालों को उड़ीसा, मराठी बोलने वालों को महाराष्ट्र, गुजराती बोलने वालों को गुजरात राज्य सहित अन्य राज्यों का निर्माण हुआ। मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ राज्य के सीमाओं से लगे हुए गोंडी भाषी क्षेत्र को अलग-अलग प्रदेशों में विभक्त कर गोंडी क्षेत्र को विभिन्न हिस्सों में बांटकर गोंडवाना राज्य का निर्माण नहीं किया गया। आज इन क्षेत्रों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के गिद्ध दृष्टि लगी हुई है। विकास की अंधी दौड़ में लगातार वनों की कटाई हो रही है जिसके कारण जल, जंगल, जमीन धीरे-धीरे सिमट रहे हैं। वनों की कटाई के साथ देश की सबसे प्राचीन संस्कृति, सभ्यता, गोंडी भाषा, वनों पर आधारित जैव विविधता इको सिस्टम अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। अलग-अलग राज्यों में सबसे प्राचीन गोंडी भाषा का स्वरूप बदलते जा रहा है। जैसे छत्तीसगढ़ में हिंदी गोंडी भाषा मिलकर छत्तीसगढ़ी, दोरली , भतरी, हलबी, उड़ीसा में गोंडी उड़िया , महाराष्ट्र में गोंडी मराठी, तेलंगाना में गोंडी तेलुगू ऐसे ही कर्नाटक ,आंध्रप्रदेश में गोंडी भाषा की स्थिति है। जिस तेजी से अन्य भाषा का प्रभाव गोंडी क्षेत्र पर हो रहा है। इसके कारण इनका अस्तित्व कभी भी खत्म हो सकता है। गोंडवाना राज्य की मांग को लेकर पेनवासी कंगला मांझी सरकार, पेनवासी लालश्याम शाह पानाबरस, पेनवासी दादा हीरासिंह मरकाम सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा समय-समय पर लगातार आंदोलन करते रहे हैं।
पृथक गोंडवाना राज्य नहीं बनने से यहां के वनों की रक्षा, यहां के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर, यहां के विशिष्ट अति प्राचीन संस्कृति की रक्षा संभव नहीं है। यहां के विकास का दावा सभी लोग करते हैं। लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। यदि बेरोजगारी, यहां हो रहे हिंसा से मुक्ति, जल– जंगल– जमीन की रक्षा करनी है तो इनके वाजिब हक अधिकार को देकर जिस तरह हम खेतों में लगे अनाज की सुरक्षा के लिए कांटे का सुरक्षा घेरा लगाकर बना देते हैं ठीक उसी प्रकार भोले– भाले, सहज– सरल गोंडी भाषी क्षेत्र में रहने वाले विशिष्ट संस्कृति, प्राचीन भाषा को बचाने हेतु पृथक गोंडवाना राज्य का निर्माण कर उनकी सुरक्षा किए जाने हेतु आगामी 2024 लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में शामिल किए जाने की मांग माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री भारत सरकार नई दिल्ली,माननीय श्री जे.पी. नड्डा राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी नई दिल्ली,माननीय श्री मल्लिकार्जुन खड़गे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी नई दिल्ली सहित सभी राजनैतिक पार्टी से गोंडवाना गोंड महासभा के राष्ट्रीय सचिव आर एन ध्रुव द्वारा की गई है।