BIHAR/ बेतिया क्षेत्र के पिछड़े इलाके की बेटियों का हौसला बढ़ाने वाली खबर आई है तो वहीं नई पीढ़ी को मार्गदर्शन व प्रेरणा देने वाली है। आपको बता दे की सुदूर इलाकों की रहने वाली आदिवासी परिवार की बेटियां अब आसमान में उड़ान भरेंगी।
अनुसूचित जनजाति परिवार की इन बेटियों को जीविका दीदियों ने एयर होस्टेस की राह दिखाई
ट्राइबल जनजाति की मालती, सिम्पल, माधवी और आकृति अब अपने शर्तों के साथ उड़ान भरने की तैयारी में है। पश्चिम चंपारण जिले के थरुहट इलाके की ये बेटियां अब हवाई सफर के दौरान यात्रियों को सुविधा एवं सहायता उपलब्ध कराएंगे । इसके लिए जीविका दीदियों की बेटियों का चयन किया गया है। इसमें से चार बालिकाओं ने एयर होस्टेस के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। जीविका दीदियों से संबंधित इन बेटियों का चयन परियोजना कार्यान्वयन एजेंसी इन्फो वैली द्वारा ऑनलाइन साक्षात्कार में किया गया है ।
एयर होस्टेस पद पर चयनित युवतियों की अब खुशी का ठिकाना नहीं है, इन्ही में से एक माधवी कुमारी ने बताया कि उनके पिता एक छोटे किसान हैं और उनकी मां जीविका स्वयं सहायता समूह से जुड़कर काम करती थीं। अपनी छोटी आय से ही उन्हें पढ़ाती थीं, एयर होस्टेस के लिए चयन होने पर उन्हें बेहद खुशी है। वहीं सिम्पल कुमार ने बताया कि उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर ली है और अपनी सफलता को लेकर बेहद खुश है उनका इंटरव्यू एक अंग्रेजी माध्यम से हुआ था जिसमें वह सफल रहीं। आपको बता दे की 9 महीने की ट्रेनिंग के बाद उन्हें यह एयर होस्टेस या केबिन क्रू के पद पर रखा जाएगा।
वही कुमारी अन्नू ने बताया कि पिछड़ा इलाका होने के कारण कई बातों का उन्हें पता ही नहीं लगता है। ऐसे में जीविका उन जैसी युवतियों के लिए आशा की किरण निकल आया है। जिसमे शामिल होकर जीविका दीदियों के माध्यम से कई मार्गदर्शन मिलते हैं और इसी कारण आज हम सब इस मुकाम पर हैं।