“हमर हसदेव कर जंगल,सरगुजा कर शान और गोंडवाना भू-भाग कर प्राण, मिटा जा ही का रे”
साथियों जिस प्रकार आप सभी प्रकृति प्रेमियों ने ‘हसदेव’ से जुड़ी बातों को कहानी,कविता के माध्यम से अपनी मन की पीड़ा को बया करते हैं! तो मन में सिर्फ एक ही सवाल..❓आता है।
की “कहीं ना कहीं हमसे कुछ चूक हुई है!”
साथियों जानकारी के अभाव में हम सभी लोग तरह-तरह से छले जा रहे हैं।
“कहीं ना कहीं हमसे आज कुछ चूक हो रहा है।”
यदि समय रहते हम लोगों ने नहीं जागा या कारगर पहल नहीं किया,तो वो दिन दूर नहीं जो बचे-खुचे जंगल भी हमसे छिन लिया जाएगा।
“साथियों (छ.ग.)की धरती अपार खनीज, सम्पदा से भरा पड़ा है।
तो जाहिर हैं! गैर लोगों का पैनी नजर हमारे जल,जंगल, जमीन पर पड़ा है।”
साथियों आज हमारे अस्तित्व से जुड़ी और सभी समस्याओं के समाधान हेतु और उचित कानूनी पहल की जानकारी होना बेहद जरूरी होता है।
“क्यूं ऐसा लगता हैं की हमसे कहीं ना कहीं “रही पर” चूक हुई है।”
साथियों जैसा आप सभी को पता हैं, कि इस बार सरगुजा संभाग के ट्रायबल समुदाय के लोंगो के लिए “गौरव का पल” होगा, कि इस चार दिवसीय “९ वां कोया पुनेम राष्ट्रीय आदिवासी प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। ट्रायबल समुदाय से जुड़ी तमाम विषयों पर प्रशिक्षित/ जानकारी प्रदान किया जायेगा है।
“मुझे ऐसा क्यूं लगता है कि आप कुछ, चूक कर रहे हैं।”
“साथियों इस कोया पुनेम राष्ट्रीय कार्यशाला में उन तमाम विषयों को पढ़ाया जाता है। जो आप अपने छात्र जीवन में “कक्षा १ली से १२ वीं या कालेजों के विषयों में नहीं पढ़ाया जाता है। या सिर्फ नाम मात्र का !”
“साथियों शिक्षा वह शेरनी का दूध है! जो पियेगा वह निश्चित ही दहाडे़गा।”
आलेख -: कमलेश प्रकाश मरावी (प्रभारी- गढ़क्षेत्र दियागढ़ रामानुजनगर)