Friday, March 14, 2025
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अम्बिकापुर के बुद्धम श्याम जी बने छत्तीसगढ़ी फिल्म ” तोर मया के चिन्हा ” के प्रमुख खलनायक – गजराज

    अम्बिकापुर : कन्हैया फिल्म्स क्रिएशन एवं श्री जानकी स्टूडियो द्वारा बनी एजाज़ सिद्धिकी द्वारा निर्देशित परिवारिक साफ सुथरी रोमांटिक छत्तीसगढ़ी फिल्म “तोर मया के चिन्हा” जो कि लम्बे अंतराल के बाद बनकर बहुचर्चित सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने को तैयार है। दर्शकों के लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार नये वर्ष के आगमन के साथ 2फरवरी 2024 को अधिकतम सिनेमाघरों में रिलीज होगी। 

इस फिल्म के निर्माता एवं पटकथा संवाद कन्हैया पटनिहा जी हैं एवं सह निर्माता कुंदन शर्मा जी है, छायांकन आरपीसोनी, डीओपी विकास सोनी जी एवं शानदार कोरियोग्राफी लक्की चतुर्वेदी जी ने किया है। इस फिल्म के गीतकार गुरूमोहन टोडर, मिलन मिलरिहा जी , शिव मंगल विश्वकर्मा जी हैं और शानदार संगीत दिया है ओम सर्राफ जी ने। 

तोर मया के चिन्हा ‘ एक शानदार परिवारिक रोमांटिक फिल्म है जिसे समस्त नये कलाकारों ने अपने अथक प्रयास से लगन से पूरी निष्ठा से बनाया है। इस फिल्म के सभी कलाकार नये जरूर हैं किंतु टीमवर्क के साथ- साथ अभिनय का जबरदस्त तड़का लगाया है जिसे दर्शकगण बहुत पसंद करेंगे।  

 इस फिल्म के प्रमुख खलनायक गजराज की भूमिका में बुद्धम सय्याम जी नजर आने वाले हैं। जिनकी खलनायकी के चर्चे बहुत जोरशोर से चल रही है उन्होने फिल्म में जबरदस्त अभिनय किया है जिसे दर्शकगण बहुत पसंद करने वाले हैं। बुद्धम श्याम जी गोंडवाना समाज के वरिष्ठ समाजसेवी होने के साथ साथ एक अच्छे गायक भी हैं। उनकी गायकी के चर्चे गोंडवाना समुदाय में बहुत लोकप्रिय है । जैसी उनकी गायकी है वैसा ही उनका स्वभाव भी है। असल जीवन में वे बहुत ही सच्चे सरल , सौम्य सहृदयी , मिलनसार ,ऊर्जावान व्यक्तित्व के धनी हैं। उनसे मिलने से व्यक्ति सकारात्मक और ऊर्जा से ओतप्रोत हो जाता है। बड़े ही स्वाभिमानी और हसमुख व्यक्तित्व है उनका । उनसे बातचीत के दौरान उन्होने बताया कि, वे बचपन से ही कला जगत के प्रति रुचि रखते रहे हैं । गायन और वादन का शौक भी रखते हैं। समय – समय पर स्टेज शो भी करते रहे हैं। बड़ादेव संगीत संध्या के रूप में उन्हे खूब प्रसिद्धि मिल चुकी है राष्ट्रीय स्तर पर उनके कार्यक्रम हुए है जिनमें कोयली कचारगढ़ धन्नेगांव , अमूरकोट , नौरोजाबाद, सोनभद्र ,महाराष्ट्र शामिल हैं। उनके द्वारा चला जाई कचारगढ़ धाम ,देवगन गुरू जी आओ , बड़ादेव चालीसा, कोयांजली, कुदरगढ़ी दाई के अंगना जय गोंडवाना जय बूढ़ादेव शामिल है। 

उनसे फिल्म को लेकर जब चर्चा किया गया तो उन्होने बताया कि ‘तोर मया के चिन्हा‘ फिल्म बहुत ही कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए बनाया गया है । उन्होंने फिल्म के निर्माता कन्हैया पटनिहा जी को हृदय से धन्यवाद किया और उनकी तारीफ भी की। और कहा कि कन्हैया पटनिहा एक कुशल दक्ष और व्यवहार शील , मिलनसार तथा परिश्रमी व्यक्ति है। उनके साथ काम करके बहुत कुछ सीखने को मिला । सबसे खास बात यह रही कि उनके अंदर नेतृत्व क्षमता , कूट कूट कर भरी है। उन्होने किरदार को लेकर बताया कि सर्वप्रथम मुझे पिता के किरदार के लिए चुना गया था किंतु उनकी पारखी नज़र के कारण मुझे गज़राज के रूप में खलनायक चुना गया । और मैने भी इस किरदार को पूरी शिद्दत के साथ निभाया । मुझे किरदार को समझने में बहुत समय भी दिया गया जो मेरे लिए काफी था । मैने डूबकर खुद को एक खतरनाक विलेन के रूप में किरदार को समझा और इस तरह गजराज की भूमिका मैनै अदा की। मै सभी चयनकर्ताओं का जिसमें कन्हैया पटनिहा जी ,एजाज़ सिद्धिकी जी , आर. पी. सोनी जी ,विकास सोनी जी का हृदय से धन्यवाद करता हूं।  

चर्चा के दौरान बुद्धम श्याम जी से अभिनय क्षेत्र में कदम कैसे रखा इस पर उन्होने बताया कि वे ” छत्तीसगढ़ी फिल्में बहुत देखा करते थे तब छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘परदेशी के मया ” में आदरणीय संजय बतरा जी के किरदार से काफी प्रभावित था बस उन्हीं को देखकर उनके जैसा डायलॉग डिलीवरी करना चाहता था। और एक दिन ऐसा भी समय आया कि उनके साथ आलेख चौधरी जी द्वारा निर्देशित फिल्म’ ईश्क मां रिश्क हावय ‘में संजय बतरा जी के भाई का किरदार करने का अवसर मिला । साथ ही मेरे गुरूदेव व परम मित्र लारेंस फ्रांसिस जी ने मुझे समय समय पर प्रेरणा देते रहे। आज उनकी प्रेरणा से ही फिल्म जगत से जुड़ पाया यही मेरा टर्निंग प्वाइट था।” दूसरी खास वजह यह भी थी कि संगीत कला से जुड़े होने के कारण मंच से हमेशा जुड़ा रहता था। और रंगमंच की ओर रुझान गया । रंगमंच में प्रवेश का सबसे बड़ा कारण था अपनी गौरवशाली संस्कृति को रंगमंच के माध्यम से जोड़कर अपनी संस्कृति को सहेजना चाहता था और साथ ही साथ कला जगत से जुड़कर समाज को नयी दिशा दे सकूं इसी आशा और विश्वास के साथ कोयतुर ट्राइबल थिएटर की स्थापना की साथ ही गोंडवाना फिल्म्स प्रोडक्शन का सपना देखा। इसी तारतम्य में यही प्रयास था कि रंगमंच का ऐसा यूनिवर्सिटी तैयार हो जहाँ हमारे ग्रामीण अंचल के कलाकार भी खुद के हुनर को ,अपने अंदर के छुपे हुनर एवं कला कौशल को पहचानकर गुणवत्तापूर्ण बना सकें। बस यहीं से रंगमंच की शुरूआत हुई। जिसमें हमने अभिनय के गुण सीखे और डॉक्टर सुरेंद्र स्वप्निल की लिखी बहुचर्चित नाटक चार टांग किया , साथ ही खुद की लिखी विदाई और दहक की। इसके बाद हमने शहीद वीर नारायण सिंह माटी सोनाखान के का मंचन भी किया जिसे मैने खुद लिखा था । इसमें और भी नाटक शामिल हैं जिसमें चरणदास चोर , प्रेम साइमन साहब की लिखी मुर्गीवाला भी शामिल है। इसी रंगमंच में रंगते रंगते कब फिल्मे मिलने लगी पता भी नहीं चला और सबकुछ आपके सामने है। 

उन्होने फिल्म को लेकर बहुत सारी जानकारी दी उन्होने बताया कि “तोर मया के चिन्हा ” एक बेहद खूबसूरत फिल्म है जिसे अमरकंटक के आसपास जंगलों में पेन्ड्रा गौरेला मरवाही के अत्यंत मनमोहक स्थानों पर शूट किया गया है जो आपके मन को बरबस ही मोह लेगा। दूसरी बात छायांकन भी जबरदस्त है जिसमें आर. पी. सोनी ,विकास सोनी जी की मेहनत व हुनर देखने को मिलेगी । एजाज सिद्धिकी जी के निर्देशन में बनी यह फिल्म दर्शकों को बहुत पसंद आएगी। एजाज सिद्धिकी जी इंजीनियरिंग किए हुए हैं। साथ ही कला जगत की काफी बारीकियों को समझते है जो शूटिंग के दैरान देखने को मिला। कन्हैया पटनिहा जी का सूझबूझ व संघर्ष व नेतृत्व क्षमता ने सब कलाकारों का दिल जीत लिया। ऐसी बहुत सी बाते है जो फिल्म को रोचक बनाती हैं। यही कारण है कि सभी कलाकारों ने एक परिवार की तरह टीमवर्क किया है। मुझे आशा और पूर्ण विश्वास है कि यह फिल्म दर्शकों को अवश्य पसंद आएगी। साथ ही श्याम जी ने बताया कि इस फिल्म में प्रमुख हीरो के किरदार में कन्हैया पटनिहा जी हैं और प्रमुख हिरोइन की भूमिका में पायल दास जी है उनके साथ डॉली चौधरी ,रंभा ध्रुव, ललिता जी है । साथ ही तारण दास बंजारे , बिक्रम लाल साहू , सत्य प्रकाश देवांगन, सूरज मेहर, विजय ओलाड़ी, नरेंद्र साहू, बरातू रावेन पोया, दुर्गेश मांझी, मनीष साहू, आरिफ कुरैशी, रोशन टांडिया, रेवती जायसवाल, पवन सोनी, जगेश्वर तिवारी, सावित्री बंजारे,निलेश्वरी साहू, मीरा जी , देवा लास्कर, तेज लाल देवांगन ,

नसीम अहमद, जीवन निषाद मेकप मेन , गुरू मोहन टोडर, मुकेश साहू, डाली साहू, प्रोडक्शन मैनेजर के रूप मे अतुल टंडन,दिलीप मिरी, प्रोडक्शन प्रभारी हितेंद्र शर्मा जी है। इस तरह और भी बहुत साथियों का सहयोग भरपूर सहयोग व अथक प्रयास से यह खूबसूरत फिल्म रुपहले पर्दे के लिए तैयार है। बुद्धम श्याम जी ने अपनी प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहते है कि सभी मित्रों ने फिल्म के कलाकारों ने विश्वास जताया है कि गजराज की भूमिका देखने में बहुत आनंद आने वाला है दर्शकों को गजराज की भूमिका बहुत पसंद आएगी। 

उन्होने दर्शकों को आमंत्रित करते हुए यह भी कहा है कि हमर छत्तीसगढ़ के भाखा संस्कृति ला आगू बढ़ाना है एखर खातिर अपन संस्कृति अपन स्वाभिन हावय ए सेती छालीवुड के छत्तीसगढ़ी फिल्म ला सब्बो दर्शक गण जरूर देखव ताकी हमर छत्तीसगढ़ के संस्कृति ला आगू पहचान मिलय। 

अंत में उन्होने कहा KANHAIYA FILM CREATION YOUTUBE पर आपको फिल्म के गाने ,टीजर , और ट्रेलर व अन्य गतिविधियां देखने को मिलेंगी आप सभी इस चैनल में जाकर अवश्य देखे ।साथ ही बहुत जल्द शानदार ट्रेलर आने वाला है। आप सभी दर्शकगण का इस फिल्म को भी आशीर्वाद मया दुलार मिले इसी शुभकामना के साथ छत्तीसगढ़ के जनता जनार्दन को सेवा जोहार ।। मया राखे रहू ठीक हे ता मय आवत हंव।

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