बस्तर : छत्तीसगढ के बस्तर में सर्व आदिवासी समाज और पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति ने चार सूत्रीय मांगो को लेकर बस्तर बंद का आहवान किया था जो सफल भी हुआ ।
आपको बता दे बस्तर बंद के दौरान ग्रामीणों का जनसैलाब देखने को मिला नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के विरोध को लेकर है, बस्तर के मूलनिवा सो सी सर्व आदिवासी समाज और अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति ने 03 अक्टूबर को रैली व आमसभा के साथ बस्तर बंद किया ।
नगरनार स्टील प्लांट के नीजिकरण पर रोक लगाने के लिए केन्द्र सरकार को आदिवासी समाज के साथ-साथ बस्तर के विभिन्न संगठनों के द्वारा पहले भी आवेदन निवेदन किया गया था । लेकिन केन्द्र सरकार बस्तरवासियों की मुल भावनाओं की अनदेखा करते हुए नव निर्माणाधीन नगरनार स्टील प्लांट को बेचने के लिए आतुर है। आपको बता दें कि संपूर्ण बस्तर संभाग संविधान के पाँचवी अनुसूचित क्षेत्र में आता है।
बस्तर के विकास का नया आयाम का नाम तो सभी पार्टियां लेते रहते है, पर सत्ता में पहुंचने के शोषण अत्याचार करना नहीं भूलते है, बस्तर के दन्तेवाड़ा जिला में बैलाडीला के पहाड़ियों पर केन्द्र सरकार का उपक्रम एनएमडीसी का विश्व प्रसिद्ध लौह खदान खोला गया खदान के प्रारम्भिक और बस्तर कि वर्तमान मध्यप्रदेश के नजदीक के शहर रायपुर में कम्पनी का मुख्यालय के आवश्यक सुविधाओं और माप दण्ड का हवाला देते हुए दूर आन्ध्रप्रदेश की राजधानी हैदराबाद में एनएमडीसी का मुख्यालय खोला गया। जो आज वर्तमान तक संचालित है, जिसके विरोध में बस्तर बंद किया था ।
इस प्रमुख मांग को लेकर किया है बस्तर बंद
- नगरनार स्टील प्लांट को न दिए जाने की मांग की गई ।
- एनएमडीसी का मुख्यालय को हैदराबाद से बस्तर लाने की मांग की गई ।
- पूरे देश में जातीय जनगणना की मांग की गईं।
- शासकीय अर्धशासकीय भर्ती में बस्तर में स्थानीय लोगों को लिया जाए जैसे प्रमुख मुद्दे को लेकर बस्तर बंद किया गया था ।