Koyrtur Times/बस्तर : सर्व आदिवासी समाज और छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण संघ ने नगरनार प्रभावित क्षेत्र के संयुक्त तत्वावधान में चार सूत्री मांग को लेकर शहर से नगरनार तक निजीकरण को लेकर मूलनिवासी समाज ने हुंकार भरी। नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण, एनएमडीसी मुख्यालय हैदराबाद से बस्तर लाने, स्थानीय भर्ती में प्राथमिकता तथा जातिगत जनगणना प्रमुख मांग रही।
सर्वआदिवासी समाज के संभागीय अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने कहा कि हम सदन से सड़क की लड़ाई लड़ें। हम सभी मूलनिवासी को एकत्रित होकर लड़ाई लड़ने की जरूरत है। अगर निजी हाथों में दिया तो बैलाडीला से लोहा ले जाने नही देंगे। कुछ ‘भी हो जाय रेलवे पटरी को उखाड़ कर फेंकगे। स्थानीय भर्तियों में बाहरी लोगों की भर्ती कर रहे हैं। अश्वनी कांगे ने कहा कि जमीन अधिग्रहण करते समय सरकार ने कहा था कि स्थानीय लोगों को नौकरी देंगे तो हमने जमीन दिए। लेकिन अब सरकार निजीकरण कर निजी कम्पनियों को दे रही है। संविधान में सत्ता का विकेंद्रीकरण करते हुए ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार है। ग्राम सभा को अपनी समस्त योजनाओं के संचालन और संपदाओं के प्रबंधन और मालिकाना अधिकार प्राप्त है। साथ ही समस्त प्रकार की योजनाओं के सुचारू रूप से क्रियान्वयन के लिए ग्राम सभा ही मुख्य है। पांचवी अनुसूची क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण के लिए बने पेसा कानून के नियम बनाने के लिए बात कर रहे हैं तो यह भी जान लेना जरूरी है।
जब निजीकरण हो रहा था तब स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कहा था कि हम पूरी सुविधा उपलब्ध करवाएंगे। आज वही सरकार हमें धोखा दें रही है। आदिवासी समाज का कानून बना तो आदिवासी समाज का जमीन कोई नहीं खरीद सकता क्योंकि हम यहां जमीन दिए हैं तो हमारा अधिकार होना चाहिए। ललित नरेटी ने कहा कि सरकार समाजवादी की बात करते हैं तो अपने मित्रों को लाभ पहुंचाने का कार्य कर रही हैं। एनएमडीसी का मुख्यालय हैदराबाद से बस्तर में लाये जाना चाहिए। इस दौरान लेखन कश्यप, धीरज राणा, अशोक तलान्दी, फुलचंद्र दीवान, रोहित नेताम, गंगा नाग, सन्तु मौर्य, पूरन सिंह कश्यप, हिड़मा मडावी, रुकमणी कर्मा, सत्यनारायण कर्मा, मंसाराम कुंजाम, सिया राम नाग, फूल सिंह नाग सहित हजारों की जनसंख्या में ग्रामीण मौजूद थे।
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