Wednesday, January 8, 2025
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कवर्धा में कुपोषण को दूर करने में मददगार बन रहा ‘पुट बारो-सेरी बाढ़न’  

  • कबीरधाम जिले में कुपोषण की समस्या से निपटने अभिनव पहल ‘पुट बारो-सेरी बाढ़न’
  • मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को कबीरधाम जिले में दिया जा रहा नया विस्तार 

आलेख : गुलाब कुमार डड़सेना

कवर्धा : छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कुपोषण की समस्या को खत्म करने का संकल्प लिया और इसके लिए 2 अक्टूबर 2019 को मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत की। आज यह अभियान पूरे छत्तीसगढ़ में संचालित है, जिसमें आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से गर्भवती माताओं, शिशुवती माताएं और 6 वर्ष आयु उम्र तक के बच्चों के लिए गरम और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। दूसरी ओर सुदूर अंचलों में कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पारम्परिक आंगनबाड़ी केन्द्रों का संचालन संभव नहीं हो पा रहा है, ऐसी स्थिति में कबीरधाम जिले में कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए अभिनव पहल की गई है। मुख्यमंत्री श्री बघेल के निर्देश और मार्गदर्शन में कबीरधाम जिला में 11 अप्रैल 2023 से ‘पुट बारो-सेरी बाढ़न’ अभियान की शुरुआत की गई है। जिसके माध्यम से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान को नया विस्तार दिया जा रहा है। अपनी तरह के अद्वितीय कार्यक्रम ‘पुट बारो-सेरी बाढ़न’ को कबीरधाम जिला में कुपोषण और एनीमिया मुक्त भविष्य की दिशा में एक आदर्श पहल के रूप में देखा जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों में महिलाओं एवं बच्चों के कुपोषण और एनीमिया की दर को देखते हुए कबीरधाम जिला को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने की अभियान की शुरुआत की गई। सर्वेक्षण के परिणाम में 5 वर्ष के कम उम्र के बच्चे कुपोषण से पीड़ित थे। इनमें ज्यादातर मामले जिले के सुदूर अंचलों के थे। ‘पुट बारो-सेरी बाढ़न’ खासतौर से दूरस्थ एवं वनांचल क्षेत्रों में स्थित मजरा-टोला और पारा के लिए है, जहां बसाहटें तो हैं और हितग्राही समुदाय भी लेकिन आंगनबाड़ी या मिनी आंगनबाड़ी केन्द्र खोले जाने के लिए आवश्यक जनसंख्या के मापदंड को पूरा नहीं कर पाने के कारण इन स्थानों पर आंगनबाड़ी केन्द्र नहीं खोला जा सका है। ऐसे में लक्षित समूह तक पहुंचना और उन्हें पोषण आहार कार्यक्रम से जोड़ने की चुनौती के बीच ‘पुट बारो-सेरी बाढ़न’ एक नई राह बनी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लक्षित समूह के लिए गरम पौष्टिक भोजन और घर ले जाने वाले राशन तक नियमित पहुंच सुनिश्चित करके कुपोषण से मुकाबला करना और कमजोर आबादी की भलाई को बढ़ाना है। बीते 11 अप्रैल से शुरू हुए कार्यक्रम ‘पुट बारो-सेरी बाढ़न’ के सकारात्मक परिणाम बहुत कम समय में ही देखने को मिल रहे हैं।

अंचल में ‘पुट बारो-सेरी बाढ़न’ के मायने

कबीरधाम जिले में बैगा आदिवासी समुदाय की बसाहट है। जिले के सुदूर अंचलों में छोटे-छोटे समूह में बैगा आदिवासी समूह के लोग पारा-टोला के रूप में निवास कर रहे हैं। ऐसे में उन्हीं के बीच की बोली को जिलास्तरीय अभियान के लिए चुना गया। बैगानी बोली में ‘पुट बारो-सेरी बाढ़न’ का भावार्थ‘ स्वस्थ जच्चा, सुपोषित बच्चे’ होता है।

जिला के 63 पारा-टोला में विशेष अभियान

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के विस्तार की कड़ी में शुरू किए गए ‘पुट बारो-सेरी बाढ़न’ कार्यक्रम के तहत प्रथम चरण में परियोजना को चार हिस्सों में बांटकर जिला के 63 पारा-टोला व मजरों में विशेष रूप से फोकस किया जा रहा है। जहां सभी बच्चों को नियमित रूप से गरम पका भोजन दिया जा रहा है। इन पारा-टोलों में ही गरम भोजन तैयार करने व हितग्राहियों को भोजन कराने के लिए टोले की ही महिला को जवाबदारी दी गई है। जिसके द्वारा टोले में ही नाश्ता एवं भोजन तैयार कर हितग्राहियों को खिलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम से तरेगांव वन में कुल 300, चिल्फी में 291, कुकदुर में 725 और बोडला में 278 हितग्राही लाभान्वित हुए हैं, जिससे अब तक हितग्राहियों की कुल संख्या 1 हजार 594 हो गई है।

भोजन में इन्हें किया गया शामिल

‘पुट बारो-सेरी बाढ़न’ कार्यक्रम ’मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान’ से एक कदम आगे की सोच कहा जा सकता है। जिसमें गरम पौष्टिक भोजन का वितरण अनिवार्य किया गया है। वहीं ‘पुट बारो-सेरी बाढ़न’ में स्थानीय रूप से उपलब्ध पोषक आहार जैसे रोटी, चावल, मिश्रित दाल, हरी सब्जियां, खीर, पूड़ी, गुड़ और भुनी हुई मूंगफली को शामिल करते हुए मेनू को डिजाइन किया गया है।

पोषण के साथ स्वास्थ्य का भी रखा जा रहा ख्याल

कबीरधाम जिला में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत 1 वर्ष से 3 वर्ष आयु उम्र के कुपोषित बच्चों को अतिरिक्त पोषण आहार दिया जा रहा है. जिले में विशेष पिछड़ी जनजाति ‘बैगा’को इस परियोजना में शामिल किया गया। इसके अलावा मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत 3 वर्ष से 6 वर्ष आयु उम्र के बच्चों को अतिरिक्त पोषण आहार, रेडी-टू-ईट तो दिया जा रहा, साथ ही उन्हें उनके स्वास्थ्य का ख्याल भी रखा जा रहा है। इसके लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर स्वास्थ्य जांच और उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।  

बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण की दिशा में एक कदम

कलेक्टर श्री जनमेजय महोबे ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के गहन विश्लेषण से यह पता चला है कि पहले कुपोषित बच्चों में से अधिकांश आदिवासी और दूर-दराज के जंगलों से संबंधित थे। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए जिले में कुपोषण एवं एनीमिया मुक्त कबीरधाम बनाने की दृष्टि से ’मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान’ के बेहतर क्रियान्वयन के लिए इस अत्यधिक प्रभावी कार्यक्रम कीशुरुआत तत्परता से की गई। जिला प्रशासन, स्वास्थ्य सेवा से जुड़े पेशेवरों और समुदाय के सदस्यों के समर्पण के साथ संयुक्त रूप से कार्यक्रम के मेहनती कार्यान्वयन ने उल्लेखनीय परिणाम प्राप्त किए हैं। इन सामूहिक प्रयासों की बदौलत, बच्चों में कुपोषण की दर में काफी कमी आई है, जिससे लक्षित समूह के स्वास्थ्य और सेहत में सुधार हुआ है।

कलेक्टर श्री महोबे के अनुसार, कुपोषण और एनीमिया से निपटने के लिए जिले की प्रतिबद्धता अटूट है। पुट बारो-सेरी बाढ़न जैसी अभिनव पहल एवं स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों से कबीरधाम जिला कुपोषण रोकथाम और उन्मूलन की दिशा में प्रभावी परिणाम प्राप्त कर देशभर में नया उदाहरण बनने की राह पर है।

हितग्राही समूह को मुख्य आंगनबाड़ी केन्द्रों से जोड़ा गया

कबीरधाम जिले में पुट बारो-सेरी बाढ़न के अंतर्गत जिले के वनांचल और दूरस्थ क्षेत्रों के ऐसे पारा-टोला जो आंगनबाड़ी केन्द्र के साथ कह्वर्ड नहीं थे, उन क्षेत्रों के हितग्राहियों को उनके पारा-टोला और मजरों में ही गरम भोजन, रेडी-टू-ईट का वितरण किए जाने की योजना बनाई गई है। संबंधित पारा-टोला को मुख्य आंगनबाड़ी केन्द्र से जोड़ते हुए पूरक पोषण आहार कार्यक्रम, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान, स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ दिया जा रहा है।

‘पुट बारो-सेरी बाढ़न’ ने लौटाई मुस्कान

कुपोषण और एनीमिया से पीड़ित लोगों के साथ इसकी चिंता कर रहे अमले में ‘पुट बारो-सेरी बाढ़न’ शुरू होने के बाद से सामने आए परिणामों से फिर से मुस्कान लौट आई है। जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) का बेहतर उपयोग कर मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत छूटे पारा-टोले के हितग्राहियों को आंगनबाड़ी की तरह की गरम और पौष्टिक भोजन मिलने लगा है. साथ ही उन हितग्राहियों को उनके पारा-टोलों में ही रेडी-टू-ईट का वितरण किया जा रहा है।

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