रायपुर छत्तीसगढ़ : आदिवासी लोककला अकादमी की ओर से कला वीथिका महंत घासीदास संग्रहालय परिसर रायपुर में जारी है, मुरिया चित्रकला कार्यशाला में नौजवान और बुजुर्ग चित्रकार अपनी कल्पनाओं को रंग भर रहे हैं। नारायणपुर बस्तर के ये कलाकार लोक शैली में चित्र बना रहे हैं। इन चित्रकारों में नई पीढ़ी के साथ-साथ ऐसे बुजुर्ग और अनुभवी चित्रकार भी हैं, जिन्होंने विदेश में भी अपनी कला से लोगों को रिझाया है गढ़ बंगाल के 80 वर्षीय पेसाडुराम सलाम उम्र के इस पड़ाव में भी मुरिया पेंटिंग बनाने सक्रिय हैं। वह खेती किसानी भी करते हैं। देश-विदेश में इनके चित्रकला का संग्रह है। पेसाडुराम सलाम की कला से देश के विभिन्न राज्यों के लोग परिचित हैं, वही इनके कला विदेश में भी इनकी ही कद्रदान हैं। पेसाडुराम सलाम ने बताया कि 2001 में उन्हें जर्मनी जाने का मौका था ।
जहां उन्होंने एक म्यूजियम में आयोजित कार्यशाला में मुरिया पेंटिंग और कुछ काष्ठ शिल्प तैयार किए थे, तब वह इटली होते हुए जर्मनी गए थे। पेसाडुराम सलाम बताते हैं कि देश की तरह विदेश में भी लोक कलाकारों की पेंटिंग में कद्रदान बेहद दिलचस्पी दिखाते हैं। इस उम्र के छत्तीसगढ़ के एकमात्र मुरिया चित्रकार हैं जिन्होंने विदेश में जाकर अपने चित्र व काष्ठ शिल्प प्रदर्शन किया है।
छत्तीसगढ़ आदिवासी लोककला अकादमी द्वारा शुरू हुई है, कलाओं पर आधारित विविध कार्यशाला में तैयार कृतियों की दो दिवसीय प्रदर्शनी कल और आज 22 सितंबर को लगाई जा रही है। अकादमी के अध्यक्ष नवल शुक्ल ने बताया कि मुरिया चित्रकला कार्यशाला 14 से 21 सितंबर तक, लौह शिल्प कार्यशाला 12 से 21 सितंबर तक और घड़वा कला कार्यशाला 11 से 21 सितंबर तक महंत घासीदास संग्रहालय परिसर रायपुर में जारी था। इन कार्यशालाओं में तैयार शिल्प व पेंटिंग की प्रदर्शनी 21 व 22 सितंबर को सुबह 11 बजे से शाम 5:00 बजे तक आगंतुक देख सकते हैं।
आदिवासी जनजीवन और प्रकृति के रंग भर रहे है, मुरिया जनजाति चित्रकार
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