Monday, June 9, 2025
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चंद्रयान-3 कोई अपवाद नहीं, बल्कि भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक प्रवृत्ति के विकास का परिणाम है : लोकसभा में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह

  • इस मिशन की सफलता में महिलाओं की भूमिका ने भारत को नई पहचान दिलाई है
  • पिछले नौ वर्षों में 424 विदेशी उपग्रहों में से भारत द्वारा 389 उपग्रह लॉन्च किए गए आज भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र विश्व में तेजी से प्रमुख स्थान अर्जित कर रहा है
  • मानवता के विकास के लिए विज्ञान और संस्कृति को साथ-साथ चलना चाहिए

 नई दिल्ली / चंद्रयान-3 की सफलता कोई अपवाद नहीं है, बल्कि भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक प्रवृत्ति के विकास का परिणाम है। यह बात रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज लोकसभा में चंद्रयान-3 मिशन की सफलता और अंतरिक्ष क्षेत्र में देश की अन्य उपलब्धियों पर हो रही चर्चा के दौरान कही। रक्षा मंत्री ने चंद्रयान-3 की सफलता को देश में आकार ले रहे मजबूत वैज्ञानिक ईकोसिस्टम का प्रमाण बताया। “चंद्रयान-3 यह दर्शाता है कि हमारे स्कूलों और कॉलेजों में विज्ञान की शिक्षा बेहतर हो रही है और उद्योग भी गुणवत्ता वाले उत्पादों का उत्पादन और आपूर्ति कर रहे हैं। इस बारे में पिछली सरकारों ने भी प्रयास किये थे। इसलिए, इस देश में वैज्ञानिक माहौल विकसित करने में योगदान करने वाला वाला हर व्यक्ति बधाई का पात्र है।’ श्री राजनाथ सिंह ने चंद्रयान-3 को पूरे देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि ऐसे अनेक विकसित देश हैं जो अधिक संसाधन संपन्न होने के बावजूद चंद्रमा पर पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि भारत अपने सीमित संसाधनों के साथ दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है। उन्होंने इस सफलता का श्रेय इसरो के वैज्ञानिकों की बौद्धिक क्षमता और राष्ट्र के विकास में उनके समर्पण को दिया। उन्होंने कहा कि भारत अपने अथक प्रयासों कारण आज विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी देशों में शामिल हो गया है। श्री राजनाथ सिंह ने बताया कि अभी तक भारत ने 424 विदेशी उपग्रहों को लॉंच किया है जिसमें से 389 उपग्रह भारत द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान पिछले नौ वर्षों में लॉंच किए गए हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी उपग्रहों के सफलतापूर्वक लॉंच से भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र आज विश्व में तेजी से महत्वपूर्ण स्थान अर्जित कर रहा है। श्री राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि जहां विज्ञान किसी राष्ट्र और समग्र मानवता के विकास के लिए महत्वपूर्ण है, वहीं संस्कृति भी उतना ही महत्व रखती है। उन्होंने दोनों पहलुओं को समान महत्व देने के लिए सरकार के संकल्प को दोहराया, विज्ञान मूल्य-तटस्थ है। यह हमें परमाणु ऊर्जा का ज्ञान प्रदान कर सकता है, लेकिन यह हमारी संस्कृति ही है जो हमें यह बताती है कि हम उस शक्ति का उपयोग ऊर्जा के रूप में अपने विकास के लिए करते हैं या हथियार के रूप में दूसरों को नष्ट करने के लिए करते हैं। विज्ञान चाहे कितनी भी प्रगति कर ले, लेकिन संस्कृति और मूल्यों के बिना वह अधूरा ही रहेगा। जैसा कि मार्टिन लूथर किंग ने कहा था: ‘विज्ञान मनुष्य को ज्ञान देता है, जो एक शक्ति है, धर्म मनुष्य को बुद्धि देता है और नियंत्रण प्रदान करता है। जो लोग यह कहते हैं कि हमें अपनी संस्कृति से छुटकारा पाना चाहिए और विज्ञान को अपनाना चाहिए, उन्हें यह समझना चाहिए कि संस्कृति और विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि इस सफलता के स्रोत हमारे उस अतीत में छिपे हैं, जब विज्ञान और आस्था के बीच सामंजस्य था। विदेशी आक्रमणकारियों के कारण हमारी प्रगति में रुकावट आई, लेकिन अब हम एक बार फिर पहले से अधिक ताकत के साथ खड़े हैं और सूरज, चंद्रमा और सितारों को छूने के लिए तैयार हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि इस सफलता के स्रोत हमारे उस अतीत में छिपे हैं, जब विज्ञान और आस्था के बीच सामंजस्य था। विदेशी आक्रमणकारियों के कारण हमारी प्रगति में रुकावट आई, लेकिन अब हम एक बार फिर पहले से अधिक ताकत के साथ खड़े हैं और सूरज, चंद्रमा और सितारों को छूने के लिए तैयार हैं। श्री  सिंह ने सांस्कृतिक सुरक्षा के महत्व पर बल देते हुए इसे सीमा, अंतरिक्ष, साइबर, आर्थिक, सामाजिक, खाद्य, ऊर्जा और पर्यावरण सुरक्षा के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक सुरक्षा किसी राष्ट्र की पहचान बनाए रखने के लिए जरूरी है और सरकार भारतीय सांस्कृतिक विरासत को महत्व देते हुए सांस्कृतिक सुरक्षा के प्रति भी उतनी ही गंभीर है जितनी सुरक्षा के मुद्दों के बारे में रहती हैं। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण के बिना किसी भी देश ने आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और वैज्ञानिक प्रगति नहीं की है। उन्होंने कहा कि अपने देश को आगे ले जाने के लिए भारत की अपनी संस्कृति से सीखना बहुत जरूरी है। रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारी आस्था और संस्कृति समावेशी प्रकृति की है। हमारा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद हमें समस्त मानवता के भाईचारे की अवधारणा को सिखाता है। भू-राजनीतिक रूप से कठिन वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद, हमने जी-20 शिखर सम्मेलन का सफलतापूर्वक आयोजन किया और नई दिल्ली घोषणा पर आम सहमति सुनिश्चित की है। इसके पीछे हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए संदेश : ‘एक विश्व, एक परिवार, एक भविष्य’ का योगदान है। उन्होंने कहा कि भारत की वैश्विक भाईचारे की भावना तब स्पष्ट हुई जब प्रधानमंत्री ने जी-20 को न केवल भारत की, बल्कि पूरे विश्व की सफलता बताया। श्री राजनाथ सिंह ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता का श्रेय भारत की नारी शक्ति को दिया और राष्ट्र को एक नई पहचान प्रदान करने के लिए उनके समर्पण और बलिदान की सराहना की। उन्होंने ‘नारी शक्ति वंदन’ विधेयक को इसरो की महिला वैज्ञानिकों के साथ-साथ संपूर्ण महिला वैज्ञानिक समुदाय के लिए कृतज्ञ राष्ट्र का उपहार बताया। रक्षा मंत्री ने इस धारणा का विरोध किया कि अंतरिक्ष में अर्जित उपलब्धियों का जनता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमारे अंतरिक्ष अभियानों का बहुआयामी उपयोग हो रहा है, जिसका लोगों पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। उदाहरण के लिए, बादल फटने आदि के बेहतर पूर्वानुमान हमारे किसानों के लिए लाभदायक होंगे। चक्रवातों के बेहतर पूर्वानुमान तटीय क्षेत्रों में रहने वालों और मछुआरों के लिए फायदेमंद साबित होंगे। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि चंद्रमा या सूर्य के लिए अंतरिक्ष मिशन दूरदराज के गांव में रहने वाले बच्चों में भी वैज्ञानिक स्वभाव को जागृत करने में मदद करते हैं। ये युवाओं को भविष्य में कुछ करने के लिए भी प्रेरित करते हैं।

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