लेखक : आर.के.नेताम (प्रबुद्ध) तखतपुर
जाग आदिवासी जाग
कब तक सुते रहिबे,कुम्भकरणीं नींद म
अपन जिम्मेदारी ले झन भाग
जाग आदिवासी जाग
जाग आदिवासी जाग
जंगल जमीन ल बैरी लूटत हावे
घर कुरिया घलो ल टोरत हावे
शिक्षा स्वास्थ के बरोबर नई हे ठिकाना
गरीबी भुखमरी म जीवन बिताना
अब उलगुलान के छेड़ राग
जाग आदिवासी जाग
अपन जिम्मेदारी ले झन भाग
सरकार के मंशा हावय आदिवासी मिटाय के,
मंद दारू पिया के सदा बर सुताय के
इंखर चक्कर म झन आहू तुंहला जगावत हों
अपन बोट के कीमत जानो तुंहला बतावत हों
मत बिकहा रुपिया पैसा म चाहे खाहो नून भाजी साग
जाग आदिवासी जाग
अपन जिम्मेदारी ले झन भाग
जाग आदिवासी जाग ।।