बंगलूरू : भारत के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल 1 की सूर्य की ओर यात्रा सफलता से जारी है। इसरो ने सोमवार रात 3 बजे उसकी परिक्रमा पथ में पृथ्वी-बद्ध परिवर्तन (अर्थ बाउंड मनूवर-ईबीएम) किया। गैर-तकनीकी भाषा में कहें तो पृथ्वी के चक्कर लगा रहे उपग्रह आदित्य की परिक्रमा परिधि को बढ़ा दिया गया है। इसे नई और पहले से बड़ी परिधि 282 गुणा 40,225 किमी में स्थानांतरित कर दिया गया है ।
इसरो ने बताया कि मिशन का यह दूसरा ईबीएम था। अब अगला पथ परिवर्तन 10 सितंबर को होगा। ताजा प्रक्रिया के बारे में इसरो ने बताया कि इसे इसरो के ही बंगलूरू स्थित टेलीमेट्री, ट्रैकिंग व कमांड नेटवर्क (इसट्रैक) ने सफलता से पूरा किया। इसट्रैक के मॉरीशस, बंगलूरू और पोर्ट ब्लेयर स्थित जमीन पर बने स्टेशनों से उपग्रह पर नजर रखी जा रही है। वहीं उपग्रह को उसकी यात्रा में आगे बढ़ाने के लिए परिक्रमा पथ में पृथ्वी-बद्ध परिवर्तन यानी ईबीएम किए जाते हैं। इसके लिए उपग्रह के इंजन चलाए जाते हैं, इससे मिला धक्का उसकी गति व दिशा में जरूरी बदलाव लाता है। इस दौरान चूंकि आदित्य पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से ही बंधा हुआ है, इसलिए इसे ईबीएम कहा गया है।
अभी तक मिशन में यह हुआ है
- 2 सितंबर को श्री हरिकोटा से प्रक्षेपण, 235 गुणा 19,500 किमी परिक्रमा परिधि पहले ही दिन हासिल की
- 245 गुणा 22,459 किमी की परिधि 3 सितंबर सुबह 11:40 बजे किए गए पहले ईबीएम के जरिये मिली, 282 गुणा 40,225 किमी परिधि 5 सितंबर रात 3 बजे दूसरे ईबीएम में हासिल की
आगे इसरो के इसट्रैक द्वारा आदित्य एल 1 के लिए यह पथ परिवर्तन किए जा रहे हैं। बंगलूरू स्थित इस केंद्र से मिशन को नियंत्रित किया जा रहा है। वैज्ञानिक भी यहां से मिशन की प्रगति पर नजर रखे हुए हैं, जरूरी निर्देश भेज रहे हैं।
और आगे अब ये होगा
- मिशन कुल 16 दिन पृथ्वी की परिक्रमाएं करता रहेगा। 3 बार और परिक्रमा परिधि बढ़ाई जाएगी।
- प्रक्षेपण के 16वें दिन पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकालते और एल 1 बिंदु की ओर मोड़ते हुए उसे किसी गोफन की तरह गहन अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा।
- यह ‘स्लिंग शॉट मनूवर’ उसे गुरुत्वाकर्षण- विहीन गहन अंतरिक्ष में एल 1 बिंदु की ओर धकेलेगा, इसे क्रूज-फेज कहा गया है, जो करीब 110 दिन चलेगी।
- प्रक्षेपण के 127 दिन करीब 15 लाख किमी यात्रा करके मिशन एल 1 बिंदु पर पहुंचेगा, जहां एक और मनूवर के बाद उसे हेलो ऑर्बिट में पहुंचाया जाएगा।
- हेलो ऑर्बिट एल 1 बिंदु पर बना परिक्रमा पथ है, यहां रहते हुए भारत का यह मिशन करीब 5 वर्ष सूर्य का अध्ययन करेगा।
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