बांग्लादेश :- भारत हमेशा की तरह सत्तारूढ़ अवामी लीग का पक्ष लेगा या तटस्थ भूमिका का पालन करेगा? राजनीतिक दल इस सवाल पर गहन विश्लेषण कर रहे हैं । अमेरिका बांग्लादेश सरकार से बार-बार कह रहा है कि आगामी चुनाव मुक्त और निष्पक्ष तरीके से कराए जाएं इस बीच, उसने एक वीजा नीति का एलान किया है । उसमें कहा गया है कि जो लोग बांग्लादेश में मुक्त और निष्पक्ष चुनाव आयोजित करने की राह में बाधा पहुंचाएंगे उनको और उनके परिवार के सदस्यों को अमेरिका का वीजा नहीं दिया जाएगा । इस पृष्ठभूमि में भारत की रवैए पर भी मंथन चल रहा है ।इसकी वजह यह है कि भारत अमेरिका का करीबी मित्र है कई लोगों की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि शेख हसीना की सरकार पर से दबाव कम करने में भारत कैसी भूमिका निभाता है ।
यह चुनाव बांग्लादेश का आंतरिक मामला होने के बावजूद इस पर ताकतवर देश अमेरिका और पड़ोसी भारत की भूमिका का असर रहा पड़ता है । बीते दो चुनावों पर विवाद होने के कारण इस बार भारत की भूमिका को बेहद अहम माना जा रहा है । वर्ष 2014 और 2018 के विवादास्पद चुनावों के बाद भी भारत अवामी लीग सरकार का जोरदार तरीके से समर्थन करता रहा है । भारत के समर्थन के कारण ही अमेरिका और पश्चिमी देशों ने चुनाव के नतीजों पर सार्वजनिक रूप से जोरदार आपत्ति नहीं जताई थी । हाल ही में एक भारतीय पत्रिका में छपा था कि भारत ने शेख हसीना सरकार के समर्थन में अमेरिका को एक कूटनीतिक संदेश दिया है । लेकिन विदेश मंत्रालय से इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है कि भारत ने हकीकत में ऐसा संदेश दिया है या नहीं लेकिन इस खबर के प्रकाशन के बाद बीएनपी और अवामी लीग ने परस्पर-विरोधी प्रतिक्रिया दी है । बीएनपी ने अमेरिका की वीज़ा नीति समेत विभिन्न मुद्दों पर उसकी सक्रियता का स्वागत करने के बावजूद भारत के रवैए पर आपत्ति जताई है ।बीएनपी की स्थायी समिति के सदस्य गएश्वर चंद्र राय दिल्ली की सक्रियता और अतीत में उसकी भूमिका का जिक्र करते हैं ।