Wednesday, January 8, 2025
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विशेष लेख : राजीव गांधी किसान न्याय योजना से समृद्ध होती खेती-किसानी

लेखक
नसीम अहमद खान, सहायक संचालक

धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ राज्य में कृषि क्षेत्र को समृद्ध बनाने की मंशा से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा फसल उत्पादकता एवं फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए संचालित राजीव गांधी किसान न्याय योजना से राज्य में खेती-किसानी को बढ़ावा मिला है। इससे किसानों स्थिति में बदलाव आया है और वह समृद्ध हुए हैं। इस योजना के तहत किसानों को अब तक 20 हजार 103 करोड़ रूपए की सीधी मदद इनपुट सब्सिडी के रूप में दी गई है। जिसके चलते फसल उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि हुई है। खेती-किसानी छोड़ चुके किसानों का रूझान फिर से खेती की ओर बढ़ा है। 20 अगस्त 2023 को किसानों को दूसरी किश्त के रूप में 1810 करोड़ रूपए का भुगतान किया जाएगा। इसको मिलाकर इस योजना के तहत किसानों को खेती के लिए दी जाने वाली सीधी मदद की राशि 21,913 करोड़ रूपए हो जाएगी। किसानों पर बकाया 9270 करोड़ रुपये की कर्जमाफी और 350 करोड़ रूपए के सिंचाई कर भी छत्तीसगढ़ सरकार ने माफ किया है, जिससे किसानों का उत्साह बढ़ा है और कृषि को संबल मिला है।

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प्रदेश सरकार की नीतियों और किसानों के हित में लिए गए फैसलों का ही यह परिणाम है कि राज्य में खेती- किसानी और किसानों के जीवन में खुशहाली आई है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य में वर्ष 2018-19 में पंजीकृत धान का रकबा जो 25.60 लाख हेक्टेयर था, जो आज बढ़कर 32 लाख हेक्टेयर अधिक हो गया है। इसी अवधि में पंजीकृत किसानों की संख्या 16.92 लाख से बढ़कर 26 लाख के पार जा पहुची है। इन लगभग 5 सालों में किसान इसका अंदाजा सिर्फ राज्य में समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान की साल दर साल बढ़ती मात्रा से आसानी से लगाया जा सकता है। राज्य में खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 में 80.30 लाख टन, वर्ष 2019-20 में 83.94 लाख टन, वर्ष 2020-21 में 92.06 लाख टन, वर्ष 2021-22 में 98 लाख टन तथा वर्ष 2022-23 में 107 लाख टन के रिकार्ड खरीदी समर्थन मूल्य हुई है।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना से राज्य में समृद्ध होती खेती-किसानी को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने अब इस योजना का दायरा बढ़ाकर इसमें खरीफ और उद्यानिकी की सभी प्रमुख फसल को शामिल कर लिया है। कोदो, कुटकी और रागी के उत्पादक किसानों को भी इस योजना के तहत प्रति एकड़ के मान से 9 हजार रूपए सब्सिडी दी जा रही है।  राज्य में मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन शुरू किया गया है। इसके उत्पादक किसानों को वाजिब मूल्य मिले इसलिए राज्य में बीते दो सालों से कोदो, कुटकी-रागी की समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है। वर्ष 2021-22 में 54 हजार क्विंटल कोदो, कुटकी, रागी की खरीदी कर किसानों को इसके एवज में 16 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया। वर्ष 2022-23 में 40 हजार क्विंटल खरीदी की गई है, जिसका मूल्य 12 करोड़ रूपए है।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत धान के बदले अन्य फसलों की खेती या वृक्षारोपण करने वाले किसानों को 10 हजार रूपए प्रति एकड़ के मान से इनपुट सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान किया गया है। वृक्षारोपण करने वाले किसानों को यह इनपुट सब्सिडी 3 वर्षों तक दी जाएगी। छत्तीसगढ़ जैसे विपुल धान उत्पादक राज्य में फसल विविधीकरण समय की मांग और जरूरत है। सरकार इस बात को भलीभांति जानती है। राज्य में अन्य फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने में राजीव गांधी किसान न्याय योजना बेहद महत्वपूर्ण है। राज्य की आबादी को पोषण युक्त खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए चावल के साथ-साथ अन्य खाद्यान्न फसलों, दलहन-तिलहन का उत्पादन जरूरी है। इसकी पूर्ति फसल विविधीकरण को अपनाकर ही पूरी की जा सकती है। राज्य सरकार ने किसानों और वनवासियों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कृषि एवं वनोपज के वैल्यू एडिशन के लिए प्रोसेसिंग प्लांट तेजी से स्थापित किए जा रहे हैं, ताकि किसानों को और अधिक लाभ मिल सके।
छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना और गोधन न्याय योजना ने भी राज्य में खेती-किसानी को काफी हद तक मजबूती दी है। नरवा विकास कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य में 28 हजार नाले चिन्हित किए गए हैं। फिलहाल 14 हजार से अधिक नालों का ट्रीटमेंट कराया जा रहा है, जिसके चलते नालों में जल ठहराव होने लगा है। फलस्वरूप भू-जल संवर्धन की स्थिति बेहतर हो रही है, नाले के किनारे वाले खेतों में सिंचाई के लिए जल उपलब्धता बढ़ी है दोहरी और नगदी फसलों का रकबा भी बढ़ा है। गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर की खरीदी और उससे 37 लाख क्विंटल कम्पोस्ट के उत्पादन और उपयोग से राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है। किसानों के आमदनी में वृद्धि के लिए फसल विविधीकरण जरूरी है। इससे खेती को लाभकारी बनाने में मदद मिलती है। छत्तीसगढ़ सरकार की राजीव गांधी किसान न्याय योजना फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने और खेती-किसानी समृद्ध बनाने में मददगार साबित हो रही है।

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