Sunday, August 24, 2025
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गोंडवाना का गढ़ “सिंगनगढ़/सिंघाधुर्वा गढ़” जहाँ सुरक्षा के लिए रहते है विषैले सांप

उईकाल पंकज चांदागढ़ -: गोंडवाना भूभाग भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के पावन माटी बलौदाबाजार जिले के बारनवापारा वन्य अभ्यारण में स्थित गोंडवाना का गौरवपूर्ण अमर इतिहास का बखान करता गोंड राजा सिंघा धुर्वा एवं चांदा दाई का प्राचीन गोंड गुफा में शोध एवं सेवा देने का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ ।
प्रकृति की गोद में स्थित यह स्थान में गोंडवाना के वास्तुकला एवं गोंडवाना के पेन व्यवस्था का अनोखा संगम देखने को मिलता है। आसपास के ग्रामीण एवं इतिहासकारों से पता चला है कि यह स्थान 1500 वर्ष पुराना है। जो गोंड राजा जगत कुल के पोयाल सिंघा धुर्वा के द्वारा निर्मित है। जंगल झाड़ी नदी पहाड़ी इन सभी की सौंदर्यता गोंडियन गणों को मंत्रमुग्ध एवं जिर को जागृत कर देता है। जंगलों एवं खूबसूरत वादियों के बीच सिंघा धुर्वा गढ़ जिसे सिंगनगढ़ के नाम से भी आसपास के अंचलों में जाना जाता है, सिंघा धुर्वा सिंगनगढ यात्रा में सबसे पहले पहाड़ी ऊपर राजा के द्वारा निर्मित भव्य प्रवेश द्वार का दर्शन होता है जिसकी शिल्प कला एवं भव्यता संपूर्ण गोंडवाना सम्राज्य महानता का वंदन करता है। प्रवेश द्वार पर गोंडवाना राज्य चिन्ह गज शोडूम यानी हाथी ऊपर शेर का चिन्ह देखने को मिलता है जोकि संपूर्ण गोंडवाना साम्राज्य के गढ़ किलो में अंकित है। प्रवेश द्वार को पार करते ही थोड़ी दूर पर पेनगुड़ी पेंनठाना दिखाई पड़ता है,जहां पर लंबे-लंबे पेनबाना और पेन खांब के दर्शन होते हैं , आम दिनों में यह स्थान पूर्ण रूप से विरान नजर आता है, मगर इस स्थान पर विभिन्न परब पंडूम खासकर चैत मास और कुंवार मास में जोत जवारा सेवा गोंगो का आयोजन गायता बैगा भूमका पंडा पुजेरी के उपस्थिति में गोंडी रीति रिवाज से संपन्न होता है, जिसमें समाज के सभी सगा जन उपस्थित होकर अपनी सेवा देते हैं ,यह स्थान पूरे गोंड समाज और आसपास के ग्रामीण अंचलों के आस्था का केंद्र स्थल है।


जहां आज भी गोंडवाना के रुढीगत परंपरा के अनुसार भाव सेवा जीव सेवा जीवाभाव नत्तूरनेंग बदना‌ का नेंग जोंग अदा किया जाता है। ठाना से थोड़ी ही दूरी पर घने जंगलों के मध्य चांदा दाई का प्राचीन गोंड गुफा है जो कि नदी नालों को पार कर पहाड़ ऊपर सीधी चढ़ाई करके पहुंचा जाता है। लगभग 2 से 3 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई करके चांदा दाई के अद्भुत पेन गुफा का दर्शन होता है , जिसके मुख्य द्वार पर हमारे गोंडवाना का सतरंगी ध्वजा लगा होता है,जो कि अपने आप में पूरी थकान को दूर कर देता है एवं मन को शीतलता प्रदान करता है। चांदा दाई प्राचीन गोंडगुफा के आसपास का नजारा देखने योग्य होता है भांति भांति के पेड़ पौधे जीव जंतु एवं घाटी पहाड़ का मनोरम दृश्य मन को प्रफुल्लित कर देता है। हम तीन लोग उस स्थान पर सेवा अर्जी देने पहुंचे थे ,जिसमें मैं और मेरे साथ संजय नेताम और संजू ध्रुव जी साथ में थे। पेन शक्तियों का आवाहन ध्यान एवं अर्जी विनती गोंडी में करके हम सभी अपने आप को एक अलग ही वातावरण में महसूस कर रहे थे मानो जैसे पेन शक्तियां और हमारे बीच यानी पेन और वेन के बीच संपर्क हो रहा हो, सेवा अर्जी के दौरान सिंगी जिसे हकुम या तुर्रा भी कहा जाता है , उसकी मधुर आवाज से गुफा एवं आसपास का पूरा वातावरण गूंज रहा था। गुफा के भीतर चांदा दाई एवं पेन शक्तियों का शक्ति स्थल या पेन स्थल पेंन ठाना में डांग पालो पेनबाना आदि का दर्शन होता है। गुफा के अंदर में घोर अंधेरा और सात द्वार सुरंग है जो कि अलग अलग रास्ते से होकर निकलता है,विभिन्न प्रकार के विषैले जीव जंतुओं का वास रहता है। आसपास के ग्रामीण यह भी बताते हैं कि इस गुफा को तडास राका आड़ा (सर्पशक्ति)से सुरक्षा की दृष्टि हेतु प्राचीन काल में बांधा गया है, इसलिए गुफा के अंदर और बाहर विभिन्न प्रकार के विषैले सर्प आपको देखने को मिलते हैं जो कि स्वयं स्थान की रक्षा करते हैं ऐसी मान्यता है।
यह किसी को भी बिना वजह नुकसान नहीं पहुंचाते। प्रकृति शक्ति फड़ापेन , चांदा दाई एवं राजा सिंघा धुर्वा का गढ़ “सिंगनगढ़” अपने आप में एक महान गोंडवाना के विरासत के रूप में विद्यमान है। जहां सभी सगाओ को जीवन में कम से कम एक बार तो अवश्य सेवा देने और प्रकृति संस्कृति और सभ्यता को परखने समझने महसूस करने एवं जानने की कोशिश अवश्य करना चाहिए ।
गोटुल, गढ़,गोत्र,बाना और ठाना , यही हमारे महान गोंडवाना का आधार स्तंभ है।

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