Wednesday, March 12, 2025
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गोंडवाना समग्र क्रांति के सिपाहियों झामझोला दाई बघेलिन, पड़वा पछारिन जैसे पेंन ठानाओं का किया भ्रमण 

नारायणगंज :- ग्राम पंचायत गूजर सानी ब्लाक नारायणगंज जिला मंडला के गोंडवाना युवा दर्शन करने जिला डिंडोरी के एक छोटा सा गढ़ झामझोला में गए। जहां बताया जाता है कि पुराना ऐतिहासिक इतिहास है जो गोंडवाना कालीन साम्राज्य की धरोहर हैं । पड़वा पछारनी माता 12 साल पहले यहां पड़वा (बोदा) की बली चढ़ाई जाती थी, अब यहां बकरी की बली चढ़ाई जाती है। यह गोंडवाना के सबसे प्रसिद्ध देवी है, कोया सगाजनो की ये पूजनीय माता है। यह माता एक पहाड़ से पटपर फोड़ के निकली है एक भारी गुफा में यह माता पड़वा पछारनी विराजमान थी फिर 12 साल बाद इसका उदगम हुआ। पत्थर के नीचे से यह माता दुनिया के सबसे शक्ति मान देवी दाई है, ऐसा बताया जाता है पंडा के द्वारा और लेख के द्वारा यहां पहले देवीमनुष्य का बली लेती रही फिर धीरे धीरे पड़वा भैसा का अब बकरा का बली लेता है या देवी गोंडवाना की प्रथम देवी बहुत शक्ति शाली देवी है या लोधा गढ़ से लाया गया था। गोधन पांडा के द्वारा बदना बोल के लिए माहिर देवी पड़वा पछारनी है, इसकी लीला अपरम्पार है सो सत्य है यह देवी वर्तमान में डिंडोरी जिला के राई पंचायत के पोसक ग्राम झामझोला गढ़ में अभी विराज मान है या देवी दिखने में विचित्र लगती है ।

पहाड़ी के नीचे देवी उदगम स्थान और ठाना है, पहाड़ी ऊपर इसकी बहुत बड़ा गुफा है विचित्र दिखती है वह गुफा में अभी भी सेही नाम का जानवर और भालू का आगमन है गुफा के अंदर जहा आज लोग बहुत संख्या में जाते हैं। ब्लॉक नारायणगंज सेजिला डिंडोरी गए झामझोला गढ़ पड़वा पछरनी माता के दर्शन के लिए 23 लोगो की टीम में प्रमुख रूप से दर्शन के लिए फिर सभी लोग भलवारा गढ़ के लिए रवाना हो गए यह भलवारा गढ़ जिला डिंडोरी ब्लॉक मेंहदवानी में आता है। गोंडवाना के एक और पुराने गढ़ भलवारा गढ़ है, जहां दाई बघेली के ठाना है, वहीं ठाना के सामने बहुत बड़ा तालाब है जहा रानी राजा स्नान करते रहे, यह दाई बघेली हैं,  जो शक्ति शाली माता है। यह माता की गोंगो पूजा के लिए गढ़ मंडला के राजा संग्राम शाह मरावी जी जाते रहे वहा पूजा पाठकरे युद्ध मैं निकलते थे ताकि युद्ध में विजय हो ये वरदान मांगते थे। जब दाई बघेली के पूजा करने जाते रहे राजा संग्राम शाह तब वह उनका कबरा घोड़ा में सवार हो करके गढ़ा कटंगा जबलपुर से गढ़ भलवारा जाते रहे है। अपने कबरा घोड़े में फिर वहा पूजा करते रहे दाई बघेली के वहां उसका भुर्ज भी ही राजा संग्राम शाह का और एक बहुत बड़ा कहानी है विचित्र लीला दाई बघेली के जो मंडला के राजा प्रेम नारायण रानी पालो रानी उनकी पत्नी को प्राकृति शक्ति बड़ा देव बच्चा नहीं दे रहा था तब जाके पालो रानी ने गढ़ भलवारा के दाई बघेली में जाके बदना किया था तब रानी को दाई बघेली कहती रही बच्चा अवश्य पैदा होगा, पर जो बच्चा पैदा होगी वो मेरे होगी ऐसा बोली फिर पालो रानी हा बोल दी फिर बघेली माता कहती है आने वाले 9 महीना बाद आपके यहाँ एक पुत्र का जन्म होगा और जब आपका पुत्र जन्म लेगा तो गढ़ मंडला में डाई घंटा सोने का वर्षां होगा ऐसे वरदान दाई बघेली ने दिया था । पालो रानी को फिर रानी पालो की 9 महीना बाद पुत्र जन्म हुआ था तब डाई घंटा सोने की वर्षा गढ़ मंडला में हुआ था। गोंडवाना के राजा हृदय शाह मरावी का जन्म हुआ था वही आगे चलकर प्रतापी राजा हुआ। मंडला के वही भलवाडा गढ़ के बघेली दाई के कारण इतना इनका अपरम्पार लीला हे दाई बघेली की दर्शन स्थल है। यही भलवाड़ा गढ़ की बघेली दाई के शक्ति के कारण राजा संग्राम शाह मरावी 52 गढ़ 57 परगना को जीता था जो आज भी इतिहास में प्रमाणित है और भलवारे गढ़ में अभी भी है। यही माता के साइड में बड़ा का मोनो है और प्रतीक चिन्ह है और सल्ला घाघरा का प्रतीक चिन्ह है बड़ा पेन की भी यहां अस्तित चिन्ह पाया जाता है यह एक राज्य वाटी स्थान है गोंडवाना के बहुत से चिन्ह यहां अवशेष है सो सत्य है प्रमाणित है, मुक्कादम झामसिंह मरावी, सुब्बे धुर्वे, सुनील उइके, रामसिंह, महेश मरावी, नंदु नरेति समस्त युवा साथी दर्शन आशीर्वाद प्राप्त किए।

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