बलरामपुर -: 19 सितम्बर 2022 को हाईकोर्ट बिलासपुर द्वारा जो फैसला आया st समुदाय का आरक्षण घटाकर 32 प्रतिशत से 20 प्रतिशत कर दिया गया । प्रकरण 2012 से हाई कोर्ट मे लंबित था । और अब फैसला 19 सितम्बर को आया है, वर्तमान सरकार कांग्रेस की है 2012 मे बीजेपी की सरकार थी, कांग्रेस की सरकार कहती है की बीजेपी ने गलत डेटा प्रस्तुत किया था । इसलिए फैसला गलत आया मेरा कहना है, की बीजेपी ने अगर गलत डेटा प्रस्तुत किया तो भूपेश की सरकार समय रहते ठीक क्यों नहीं किया समय रहते ठीक किया जा सकता था डिंडोरा कांग्रेस बीजेपी तो खूब पीटते है की हम आदिवासियो के परम् हितैसी है आदिवासियों का सबसे बढ़ा शुभचिंतक है । आरक्षण कोटा से गए सारे विधायक एसो आराम मौज मस्ती मे लीन है । इनको आरक्षण से मतलब है न पेसा एक्ट से मतलब है । सर्व आदिवासी समाज या तमाम जनजातीय हितैसी जो संगठन काम कर रहे है । इन्ही विधायकों के आसपस या पार्टी के आसपस सरकार के आसपास दिखते है । संगठन का पॉटर बैनर लगाकर अपना अपना हित साधने मे लगे है , अपने अपने परिवार का भविष्य सवारने मे लगे है , ऐसे लोगो का समय रहते पहचान नहीं किया गया । आगे जाकर पर्दाफाश नहीं किया गया तो संगठन कभी शक्तिशली नहीं बन सकता जनजातीय समाज का सर्वांगीण विकास और कल्याण तभी सम्भव है , जब सारे आरक्षित विधायक समर्पित होकर जनजातीय समाज लिए काम करें ।
अभी तक ये पार्टी के लिए काम करते है पार्टी का काम अनिवार्य है समाज का एकक्षिक है और नहीं तो 75 सालो से तमाशा देख रहे है । मदारी और ठग की भूमिका हमारे ही लोग निभा रहे है , और जनजातीय समुदाय बंदर की भूमिका निभाने मे लगा है ।
17 अक्टूबर को अध्यादेश लाएगी भूपेश सरकार अध्यादेश एक लालीपाप है । जनजातीय समुदाय को चुनाव के पहले बेवकूफ बनाने का तरीका है , अगर भूपेश सरकार सही मायने मे कानून बनना चाहती है तो इस पर नया क़ानून बनाये जनजातीय समाज को लूटने मे शोषण के दलदल मे ले जाने मे जनजातीय समुदाय के नुमाईंजादे ज्यातर जिम्मेदार है ।