बिलासपुर :- दिनांक 25.09.2022 रविवार को सर्व आदिवासी समाज छत्तीसगढ़ एवं अनुसूचित जाति शासकीय सेवक संघ के संयुक्त आव्हान पर सभी जनजातीय समाज के अधिकारी कर्मचारी, प्रबुद्ध जन, सामाजिक मुखिया कार्यकर्तागण, युवा एवं मातृशक्ति नगारची भवन संतोषी नगर के बैठक में सम्मलित हुए।
दिनांक 19.09.2022 के छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट द्वारा छत्तीसगढ़ लोकसेवा (अनुसूचित जन जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण) अधिनियम 2012 को निरस्त कर दिया है। अधिनियम 2012 में अनुसूचित जन जाति के लिए 12% अनुसूचित जन जाति के लिए 32% एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14% आरक्षण प्रवधानित था। अजजा के लिए 32% आरक्षण 2011 के जनगणना में छत्तीसगढ़ में अजजा के जनसंख्या के आधार र दिया गया था। यह कुल 12+32+14 = 58% होता है जो 50 % आरक्षण सीमा से 8% अधिक है।50% से अधिक आरक्षण विशेष परिस्थितियों में पर्याप्त जस्टीफ़िकेशन के साथ दिया जा सकता है। अब वर्तमान सरकार कहती है कि 2012 के तत्कालिन सरकर ने पर्याप्त और उचित जस्टीफ़िकेशन नहीं दिया। तत्कालीन सरकार कहती है कि वर्तमान सरकार ने छ. ग. उच्च न्यायालय में उचित और पर्याप्त जस्टीफिकेशन प्रस्तुत नही किया। इसलिए उच्च न्यायालय ने अधिनियम 2012 के 58% आरक्षण को असंवैधानिक घोषित कर दिया। अब पूर्व में म. प्र. लोकसेवा (अनुसूचित जन जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण) अधिनियम 1994 में अनुसूचित जन जाति के लिए 16% अनुसूचित जन जाति के लिए 20% एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 14% कुल 50% आरक्षण मान्य होगा। ज्ञातव्य हो कि उच्च न्यायालय का यह निर्णय सरकारी नौकरी तथा व्यावसायिक शिक्षा संस्थानों के प्रवेश में आरक्षण को प्रभावित करेगा। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (एमपी / MLA) के आरक्षण को तत्काल प्रभावित नहीं करेगा। यदि इसमे बदलाव नहीं हुआ तो सरकारी नौकरी में 20% आरक्षण को आधार बनाकर कोई भी न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।इस मुद्दे ने समूचे आदिवासी समुदाय को झकझोर दिया है। विभिन्न आदिवासी समुदाय के प्रमुख जनों ने अपने आक्रोश को जोरदार तरीके से व्यक्त किया। भीड़ इतनी रही कि कुर्सियाँ हटाकर फर्श पर बैठने बाद भी लोग भवन के बाहर खड़े होकर कार्यवाही सुन रहे थे. सभी सामाजिक जनों ने एकजुटता के साथ शासन पर दबाव बनाने के लिए न्यायालयीन प्रक्रिया सहित सड़क पर संघर्ष के लिए सहमति प्रदान किया। समाज के मंत्री विधायकों के इस मुद्दे पर चुप्पी के लिये समाज ने नाराजगी दिखाई। सर्व सम्मति से सभी आदिवासी विधायकों को बुलाकर बात करने, फिर सामाज प्रमुखों द्वार मुख्यमंत्री से मिलकर समाधान के लिय संवाद करने पर सहमति बनी। अपने अपने क्षेत्र के विधायकों के घर नगाड़ा बजाकर ज्ञापन देने का भी सुझाव आया। बिलासपुर टीम ने विधायकों / मंत्रियों के सरकारी आयोजन, एवं 1 नवंबर से 3 नवंबर के शासकीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का बहिष्कार करने का सुझाव दिया। जो भी सरकारी आयोजन मे सम्मिलित होगा उसका विरोध नहीं करना है बल्कि गुलदस्तों के साथ “जयचंद” सम्मान से विभूषित करना है। आदिवासी मंत्रियों / विधायकों का पुतला दहन अथवा अर्थी भी नहीं उठान है, बल्कि चौक चौराहे पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए उनके लिए दो मिनट का मौन रखना है। संयोग से 25 सितंबर को ही “पीतर खेदा” के दिन आदिवासी मंत्रियों / विधायकों के लिय के लिए वहीं पर शोक संवेदना के साथ दों मिनट का मौन भी रखा गया।
उक्त बैठक में बिलासपुर से श्रीमती सविता साय प्रदेश अध्यक्ष महिला प्रभाग, सुभाष परते प्रदेश अध्यक्ष युवा प्रभाग, निरंजन पैकरा जिला उपाध्यक्ष, रिखीराम नेताम जिला महासचिव, शिव नरायान चेचाम जिला अध्यक्ष युवा प्र. म जदुनाथ सिंह उईके जिला संयुक्त सचिव, अनिल मरावी, ब्लॉक सचिव बिल्हा (द) गंगाराम छेदईहा संरक्षक बिल्हा (द) महासिंह नेताम ब्लॉक अध्यक्ष युवा प्र. बिल्हा (द),रामनाथ कतलम अध्यक्ष मुरकुटा चक, सालकू मरकाम सचिव मुरकुटा चक, राकेश राज, धन्नु नेतामम शिव कुमार सिदार, अमृतलाल मरावी उपाध्यक्ष युवा प्र. सीपत परिक्षेत्र, फिरतू मरकाम, घनश्याम खुशरो सचिव सीपत उप महासभा, परमेश्वर बिनझवार जिला संयुक्त सचिव, बद्री खैरवार जिला संगठन मंत्री यु.प्र., के। के पैकर, एस एस पैकरा, मनोहर सिंह राजा जनपद सदस्य कोटा, लखन सिंह पैकरा, परमेश्वर राज खुशरों, जिला उपधायक्ष छत्तीसगढ़ गोंडवाना गोंड़ महासभा, सहदेव मरावी डभरा, श्यामलाल जगत रायगढ़, फेकन मरावी, सन्तोष कोल, बलराम खैरवार सहित अनेकों सामाजिक जन सम्मिलित हुए ।