आज आरक्षण कम हुआ है,
फर्क नहीं पड़ता दलालों को।
गैर संस्कृति परंपराओं के,
रंग में रंगे रहने वालों को।
इनकी आवाज गूंजती नहीं,
हक अधिकार की लड़ाई में।
काम है इनका फूट डालना,
अपने समाज के भाई भाई में।
और तो कोई काम ना आता,
इन बद् दिमाग़ अलालो को।
आज आरक्षण……………..,
अपनी जुबां से यह लोग,
पेलते हैं बातें बड़े ज्ञान की।
सांप सुघं जाता है इनको,
जब बातें हो संविधान की।
दुम दबाकर भाग जाएंगे,
गलने ना दो इनके दालों को।
आज आरक्षण……………….,
दिया है जोर अस्तित्व व,
हक अधिकार की लड़ाई पर।
लानत है तेरा शिक्षित होना,
लानत है तेरी इस पढ़ाई पर।
तर्क वितर्क की क्षमता नहीं,
क्या समझ पाएगा चालों को।
आज आरक्षण………….,
ख़ामोश क्या नेता क्या मंत्री,
ख़ामोश क्या अफ़सर अधिकारी।
जाने कौन से दुनिया में खोए हैं,
या है कोई बेबसी लाचारी।
कानों में रेंगते जूं तक पता ना हो,
उन ऊंचे ओहदे में रहने वालों को।
आज आरक्षण……………….,
लिखता रहूंगा तेज तरार,
ये कलम मेरा हथियार है।
समाज के शुभचिंतकों को,
नेताम का सेवा जोहार है।
संघर्ष की घड़ी में सदा,
आप आगे रहने वालों को।
आज आरक्षण कम हुआ है,
फर्क नहीं पड़ता दलालों को।
गैर संस्कृति परंपराओं के,
रंग में रंगे रहने वालों को।
जितेंद्र नेताम
जिला – गरियाबंद
मो.न. – 93996 53973