एक कदम ओजोन परत को बचाने की ओर……
गोंडी लैंग्वेज में “को” – वड़ ===>> “को” याने O2 (आक्सीजन) वड़ = वायु
#कोय — वड़ ====>> कोय याने O3 (ओजोन) वड़== गैस
#कोयान — ओजोन परत
मानव इतिहास क्रम में जिस – जिस आवरण या संरचना ने जीवन रक्षा की उन सभी को “कोया” नाम देकर सम्मानित करने की “गोंडवाना” में परम्परा रही है जेसे – पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत के क्षण प्रथम कोशिका आवरण वाले युकैराइट कोशिका को “कोया” हम जानते हैं कि इसी कोया/कोशिका से पृथ्वी के सभी जीव जंतु वनस्पतियों की उत्पत्ति हुई है ।
इसी तरह मां के गर्भ के आवरण लिए “कोया” नामाकरण बीज को सुरक्षित रखने वाले फल के आवरण के लिए “कोया /काया” नामाकरण इसी तरह अंतिम महा हिम युग (आज से 12 हजार साल से पहले) के दौरान मानव प्रजातियों को अत्याधिक ठंड से बचाने वाले भौगोलिक संरचना अर्थात पहाड़ों के उपरी भागों में स्थित गुफाओं के लिए भी “कोया” शब्द प्रचलित है ।और जीवन वायु आक्सीजन के लिए भी “को” बड़ ओजोन गैस के लिए “कोय” वड़ और ओजोन परत के आवरण के लिए “कोयान” नाम महान गोंडी लैंग्वेज में प्रचलित है , यह हमारी पुरखों पर गर्व करने वाली बात है ।
ओजोन परत क्या है
दरअसल स्ट्रैटोस्फियर (समताप मंडल) के निचले भाग में पृथ्वी की सतह के ऊपर लगभग 10 किमी से 50 किमी की दूरी तक स्थित है, यद्यपि इसकी मोटाई मौसम और भौगोलिक दृष्टि से बदलती रहती है। इसी भाग पर आक्सीजन(O2) के तीन परमाणु जुड़कर ओजोन(O3) परत का निर्माण करते हैं , यह परत सूर्य के पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकता है अर्थात 310nm से कम तंरग दैर्ध्य वाले किरणें ओजोन परत को पार नहीं कर पाती है । यदि ओजोन परत न हो तो पृथ्वी पर हम दुनिया में जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते है , मतलब ऐसा आवरण जो पृथ्वी पर जीवन देता है. जैसा कि ऐसे जीवन रक्षक आवरण को हमारे पुरखे “कोया” नाम देकर सम्मान प्रदर्शित करते थे । इसलिए हम कोया कोयतोर (Indigenous/Tribal) हाइड्रोमानव के लिए ओजोन परत का नाम “कोयान” है ।
हमारे “कोयान” को नुकसान पहुंचाने वाले कारक
क्लोरो , फ्लोरो , कार्बन , फ्लोरो कार्बन, कार्बन टेट्राक्लोराइड, मिथाइल क्लोरोफॉर्म, हैलोजन गैसें, व्रोमीन और क्लोराइड से संबंधित गैसें आदि प्रमुख कारक/ प्रदुषक है । क्लोरो फ्लोरो कार्बन उन सभी चिजो में पाई जाती है जो एयरकंडिशन या चिजो को ठंडी करने के काम आते हैं जैसे रोज इस्तेमाल कर आदि हो चूके रेफ्रिजरेटर, एसी आदि में पायी जाती है इसी तरह “हालोन” आग बुझाने वाले उपकरणों में पाई जाती है औद्योगिक प्रदुषण व हवाई जहाजों का अत्याधिक आवाजाही भी इसके प्रमुख कारण है । अब ध्यान रखिये कि जब आप ठंडी पेय पीते हैं, जब आप एसी गाड़ियों में घुमते है घर के रेफ्रिजरेटर का इस्तेमाल कर रहे होते हैं तो दुनिया के सबसे अनिवार्य आवरण (हम इडीजीनस के लिए पवित्र कोयान याने ओजोन परत) को नष्ट करने की दिशा में बढ़ रहे होते हैं । शायद इसलिए भी हमारे महान लिंगों पेन जैसे वैज्ञानिक पुरखो ने हड़प्पा मोहन जोदड़ो, मिश्र की नगरीय सभ्यता के विकास के बाद प्रदुषित नगरों के आत्मविनाशक प्रवत्ति को देखते हुए “प्रकृति” की ओर आक्सीजन की ओर और प्रदुषण से कोसो दुर की नीति अपनाई होगी । इसके तहत विनाशक शहरों से हरे भरे गांवों की ओर चलने की नीति अपनाई थी , जिसे आज तक हम मुलबीज समुदाय पालन करते हुए आ रहे हैं उदाहरण के लिए वृक्षों के आवरण मे घर, मटके में पानी, मडिया गोरा जावा जैसे ठण्डे पेय पदार्थ, प्राकृतिक एयरकुलिगं घरों की प्राचीन डिजाइन गावों में भूमि, जल, वायु को प्रदुषण मुक्त रखने की कोशिश, पेन डिजाइन युक्त गाँव, गावों में प्रकृति से जुड़े पंडुम पर्व मनाऐ जाने लगे आदि आदि इन तकनीकों को संवर्धन करने को पुरखो ने संकल्प लिया था । जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होती आ रही है और ऐसा हम आधुनिक मानव भी संकल्प ले यहाँ गौरतलब है कि आज के ही दिन सन 1987 को दुनिया के वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदों, शासकों, बुद्धिजीवियों ने भी मांट्टियाल नामक स्थान में आयोजित विश्व महा बैठक के दिन “ओजोन परत” बचाने के लिए महा संकल्प लिये थे उसी के याद में हर वर्ष 16 सिंतबर को विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है ।
इस वर्ष 35 वें विश्व ओजोन दिवस 2022 का थीम है “मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल@35: पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करने वाला वैश्विक सहयोग” Montreal Protocol@35: global cooperation protecting life on earth” हमारे कोयतोर /इण्डिजीनस के प्रकृति सम्मत तकनीकी को देखते हुए मैं बार बार कहते आया हूँ कि हमारे गोंडी लैंग्वेज जैसी इण्डिजीनस मातृभाषाओं में व पुरखों के दर्शन कोया पुनेम में इतिहास की गुत्थी सुलझाने वर्तमान समस्याओं के हल करने और भविष्य के सही रास्ते दिखाने की एक साथ क्षमता विद्यमान है ।
एक बार फिर गोंडी लैंग्वेज में बताता हूँ ।
“को” वड़ याने आक्सीजन गैस
“कोय” वड़ याने ओजोन गैस
“कोयान” मतलब ओजोन परत
एक कदम गाँव की ओर
शहरों के प्रदुषण को कम करके प्रदुषण कम कर ओजोन परत को बचाने की ओर प्रकृति की सेवा करने सेवा जोहार की ओर पुनः पृथ्वी के सभी मानवों से अपील की एक बार ट्राइबल समुदाय से प्यार करके तो देखिए उनके कोयतोरियन तकनीक को अपना कर तो देखिए दुनिया अपने आप प्रदुषण मुक्त व खुबसूरत बन जाऐगी ।
ज्ञान की ओर गतिशील हमारे पुरखों को “ओजोन परत” की संरक्षण तकनीक विकसित करने के लिए बहुत बहुत सेवा जोहार । कोयान जोहार ।
Narayan Markam
KBKS Environment Wings
Boom Gotul University Bedamamar